Book Review : |
|
आन्ध्र प्रदेश की आदिवासी संस्कृती | ISBN No. : xxxxxxxx | सुरेश जगन्न्थम | Reviewed By : Mohsin Uddin | Published On : 25/03/2013 | Published By : मिलिंद प्रकाशन, हैदराबाद | Genre : Adventure | Review : | सुरेश जगन्नथम की प्रथम पुस्तक ज्ञानवर्धक है, आदिवासी जीवन की सन्देश पूर्ण है। आदिवासी जीवन पर जीवन्त चल चित्र के समान पाठक को जानकारी एवं सुचना के साथ आनन्द भी देती है।
लेखक ने आदिवासीयों से जुड़े महात्वपूर्ण पहलुओं को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराया है। जिसे मिलिन्द प्रकाशन, हैदराबाद ने प्रकाशित कर के पाठकों को स्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी है।
भूमिका, विषयानुक्रमणिका और आधार ग्रंथ सूची को छोड़कर पूरी पुस्तक १२ भागों में अपनी यात्रा पूरी करती है। पुस्तक १२० पृष्ठो में संगठित है।
पुस्तक की भूमिका को लिखा है। पाड़ेय शशिभूशण शीतांशू ने तथा उन्होने कहा है कि इस पुस्तक में लेखक ने दस जजातियों का सामाजिक - सांस्कृतिक विवेचना प्रस्तुत कि है। ये जनजातियाँ क्रमश: कोलाम, कोया, कोंद, कोंड़ा, दोरा, गोंड, चेंचु , नक्कला, भगता, यानादि और येरुकला है।
पुस्तक की प्रमुख विशेषता है इसकी सरल व सुबोध शैली ऐसा प्रतीत होता है। कि रोचक और सरल तरीके से गंभीर तथ्यों की तरफ ध्यान खींचने की कला लेखक को बखूबी आती है।
आज के परिपेक्ष्य में लेखक की चिन्ता और उनका सरोकार निश्चय ही महात्वपूर्ण व विचारणीय है । इसे पढ़ने की प्यास बढ़ती जाती है । पुस्तक का कोई पृष्ट ऐसा नहीं है जो पढ़ने में नीरस लगे।
पुस्तक का आवरण शीर्षक के अनुरूप है। पुस्तक में छोटे छोटे वाक्यो का प्रयोग किया गया है ।
अंत में, यह भी इंगित करना उचित समझता हूँ की पूस्तक में की कुछ भूले रह गयी है जिनका उल्लेख इस आशा के साथ किया जा रहा है की लेखक अगले संस्करण में उनका परिहार करेगे । जैसे की पृष्ट क्रमांक ११० में अपराधी की जगह अपराधी
होना चाहिए ।
पृष्ट क्रमांक ११७ में आधार ग्रंथ सूची को पूर्णत: हिन्दी में बनाना चाहिए । तथा उसे वर्णानुक्रम लिखना चाहिए ।
पुस्तक के तथ्यो को मानव वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से देना चाहिए था न क़ि केवल साहित्यिक दृष्टि से यह कमी पाठको को खलती है।
बहरहाल यह पुस्तक शिक्षविधो, मनोवैज्ञानिको, शोधाथिर्यो , समाजशास्त्रीयो , सामाजीक कार्यकर्ताओ के लिए उपयोगी सावित होगी हेसा मेरा विश्वास है । पुस्तक का मूल्य कम रखना उचित होता ।
इस कार्य हेतु लेखक निश्चित तौर पर साधुवाद के पात्र है । सुरेश की अगली पुस्तक के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी पड़े ,यही मंगल शुभकामना है ।
| Reference : | आन्ध्र प्रदेश की आदिवासी संस्कृति , सुरेश जगन्नथम, मिलिन्द प्रकाशन, हैदराबाद, मूल्य - १५० रु |
|
|
|
|
|